लोगों की राय

लेख-निबंध >> औरत का कोई देश नहीं

औरत का कोई देश नहीं

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :235
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7014
आईएसबीएन :978-81-8143-985

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

150 पाठक हैं

औरत का कोई देश नहीं होता। देश का अर्थ अगर सुरक्षा है, देश का अर्थ अगर आज़ादी है तो निश्चित रूप से औरत का कोई देश नहीं होता।...

औरत और कब तक पुरुष जात को गोद-काँख में ले कर अमानुष बनायेगी?


'भारतीय फ़िल्मों के मेगा स्टार अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक के साथ ऐश्वर्या का विवाह हो सकता है' पत्रिकाओं-अखबारों में यह खबर छपते ही सबके प्राणप्रिय धन, अमिताभ बच्चन ने कह दिया कि ज्योतिष का कहना है कि ऐश्वर्या से विवाह करके अभिषेक का अमंगल होगा, इसलिए विवाह ख़ारिज। उसके बाद देखने में आया कि सैकड़ों तरह के पूजा-पाठ करके संकट मोचन किया गया। अब, अभिषेक, ऐश्वर्या से विवाह कर सकते हैं। ऐश्वर्या मशहूर अभिनेत्री हैं। विवाह के बाद अभिनय करना क्या उनके लिए सम्भव होगा, यह सवाल सभी लोगों के मन में कुलबुलाने लगा। उन्हें अभिनय की अनुमति क्या उनके पति देंगे या ससुराल वाले? सुना है, अभिषेक ने कहा है कि ऐश्वर्या अगर चाहें तो अभिनय कर सकती हैं। विवाह के बाद अभिषेक का अभिनय बन्द होगा या नहीं, इस बारे में किसी ने कोई सवाल नहीं किया। किसी ने भी ऐश्वर्या से यह नहीं जानना चाहा कि वे अभिषेक को अभिनय की अनुमति देंगी या नहीं।

किसी के लिए भी क्या यह सब बेहद विस्मय की बात है? नहीं, किसी के लिए भी नहीं। यह सभी बेहद स्वाभाविक है। ऐसा क्यों? यह सवाल कोई क्यों नहीं करता कि विवाह सिर्फ औरत का जीवन क्यों बदल देता है, पुरुष के जीवन को क्यों नहीं?

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. इतनी-सी बात मेरी !
  2. पुरुष के लिए जो ‘अधिकार’ नारी के लिए ‘दायित्व’
  3. बंगाली पुरुष
  4. नारी शरीर
  5. सुन्दरी
  6. मैं कान लगाये रहती हूँ
  7. मेरा गर्व, मैं स्वेच्छाचारी
  8. बंगाली नारी : कल और आज
  9. मेरे प्रेमी
  10. अब दबे-ढँके कुछ भी नहीं...
  11. असभ्यता
  12. मंगल कामना
  13. लम्बे अरसे बाद अच्छा क़ानून
  14. महाश्वेता, मेधा, ममता : महाजगत की महामानवी
  15. असम्भव तेज और दृढ़ता
  16. औरत ग़ुस्सा हों, नाराज़ हों
  17. एक पुरुष से और एक पुरुष, नारी समस्या का यही है समाधान
  18. दिमाग में प्रॉब्लम न हो, तो हर औरत नारीवादी हो जाये
  19. आख़िरकार हार जाना पड़ा
  20. औरत को नोच-खसोट कर मर्द जताते हैं ‘प्यार’
  21. सोनार बांग्ला की सेना औरतों के दुर्दिन
  22. लड़कियाँ लड़का बन जायें... कहीं कोई लड़की न रहे...
  23. तलाक़ न होने की वजह से ही व्यभिचार...
  24. औरत अपने अत्याचारी-व्याभिचारी पति को तलाक क्यों नहीं दे देती?
  25. औरत और कब तक पुरुष जात को गोद-काँख में ले कर अमानुष बनायेगी?
  26. पुरुष क्या ज़रा भी औरत के प्यार लायक़ है?
  27. समकामी लोगों की आड़ में छिपा कर प्रगतिशील होना असम्भव
  28. मेरी माँ-बहनों की पीड़ा में रँगी इक्कीस फ़रवरी
  29. सनेरा जैसी औरत चाहिए, है कहीं?
  30. ३६५ दिन में ३६४ दिन पुरुष-दिवस और एक दिन नारी-दिवस
  31. रोज़मर्रा की छुट-पुट बातें
  32. औरत = शरीर
  33. भारतवर्ष में बच रहेंगे सिर्फ़ पुरुष
  34. कट्टरपन्थियों का कोई क़सूर नहीं
  35. जनता की सुरक्षा का इन्तज़ाम हो, तभी नारी सुरक्षित रहेगी...
  36. औरत अपना अपमान कहीं क़बूल न कर ले...
  37. औरत क़ब बनेगी ख़ुद अपना परिचय?
  38. दोषी कौन? पुरुष या पुरुष-तन्त्र?
  39. वधू-निर्यातन क़ानून के प्रयोग में औरत क्यों है दुविधाग्रस्त?
  40. काश, इसके पीछे राजनीति न होती
  41. आत्मघाती नारी
  42. पुरुष की पत्नी या प्रेमिका होने के अलावा औरत की कोई भूमिका नहीं है
  43. इन्सान अब इन्सान नहीं रहा...
  44. नाम में बहुत कुछ आता-जाता है
  45. लिंग-निरपेक्ष बांग्ला भाषा की ज़रूरत
  46. शांखा-सिन्दूर कथा
  47. धार्मिक कट्टरवाद रहे और नारी अधिकार भी रहे—यह सम्भव नहीं

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book